कितना अच्छा होता ये जिंदगी
हर समय ही हरी भरी होती
खुशियों के फूल हर तरफ होते
गमों के ओस पत्तो से फिसल रहे होते
बादलों की घटाएं हर बार जीवन में
नई रंगत ला रहे होते
सुबह की किरण पौधो को खिला रहे होते
मधुमक्खियों जैसे यार दोस्त
इकट्ठे हर बार घूम रहे होते
ये जिंदगी है दोस्तो हरियाली की तरह
ये कभी हरी है तो कभी पीली है ,बागों के फूलों की तरह
रह जाते हैं खुशी और गम के बीज
हमारे जिंदगी के बागवानों में
फिर से कुछ कलियों के लिए फूल बन जाने की वजह
छूट जाता है कुछ अपनो का साथ
आ जाते है फिर से कुछ साथ, अपनो की तरह
जिंदगी के बाग में बागवानी कभी नहीं छूटती
ये जिंदगी है दोस्तो , इसकी गाड़ी कभी नहीं रुकती
प्रकृति को बचाना भी हमारी जिंदगी है
अपने आने वाले भविष्य की खुशाली की तरह
जिस तरह सांसे जरूरी है जिंदगी के लिए
धरती को भी जरूरत है हरियाली की
जो हमेशा से है उसके भविष्य की वजह ।
- आदित्य राय ( काव्यपल )
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