जीवन देती एक प्यारा सन्देश है ।
फूलों को देखो ,खिलती हैं,
हवाओं में खुशबू बिखेरतीं हैं,
मुरझाने तक, अपनीे ख़ुशबू को किसी से न तोलती हैं ।
कितना ही होता हैं जीवन एक फूल का ?
क्या नहीं होता उनके जीवन का मोल क्या ?
भँवरे आते हैं ,मधुपान कर जाते हैं,
पर फूलों की क़ाबिलियत नहीं छीन पाते हैं ।
रस देकर भी बीज उपजाते हैं,
खुद टूट कर भी जीवन की सीख दे जाते हैं ।
जीवन को मत समझो एक रेस
बहुत कम हैं इस शरीर में जीवन शेष ।
आओ जीवन को जिये, समय के अनुकूल बने,
अपने जीवन का खुद फूल बने।
यहां सुने :-
-- आदित्य राय (काव्यपल)
Comments
Post a Comment