रात की चांदनी





ऐ चाँद तेरी चाँदनी की कसम,
अगर तू ना होता तो,
रात में किसे निहारते हम ।

नीले आकाश में जगमगा रहा है तू,
तारो की आगोश में समा रहा है तू ।

रात की कली हैं तेरी चाँदनी,
जिसे तोड़ना चाहता हैं हर आदमी ।

पूर्णिमा ,अमावस्य तेरे हैं दो छोर,
जिसमे समा जाते हैं कई भोर ।

जुगनू से जगमगाते बल्ब के बीच,
तेरी चाँदनी कर रही हर रात को सींच ।

कितने नगमे लिखे गए तेरी चाँदनी पर,
फिर भी ना आया तू इस ज़मीन पर ।

शायद हमसे रूठा हैं तू,
अपनी रोशनी ना होने का गम छुपाता हैं तू ।

एक बार तू हमारे करीब तो आ,
हमें एक बार छू तो जा,
तेरी दुनिया में आने को बेताब हैं हम,
तेरे दिल में अपना आशियां बनाने को तैयार है हम ।


यहाँ सुने :-

---आदित्य राय (काव्यपल)

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