कॉलेज के दिन






वो कॉलेज के दिन,
वो क्रिकेट तेरे बिन ।
वो लाइब्रेरी की पढ़ाई,
जब देख किसी को
लेते थे हम अंगड़ाई ।

तरंगों की तलाश में,
भटकते थे दिन रात,
खुश होते थे हम,
जब बन जाती थी अपनी बात ।

वो बोरिंग से लेक्चर,
जब ऊपर से जाता था हर चैप्टर ।
वो नौकरी पाने की धुन ,
वो अपनी किस्मत से लड़ाई,
वो साथियों की हौसलाअफजाई ।

सब समेटे रख रहा हूँ मैं,
अपनी यादों की किताब में ।
उस दिन के लिए जब मिलेंगे,
जिंदगी के किसी मोड़ पर ।
तब तक करेंगे याद साथ बिताए
हर लम्हे को ,
चलो अब जीते हैं फिर से 
इस दूरी को ।


यहाँ सुने :-


--- आदित्य राय (काव्यपल)



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