गांव में बाढ़ का पानी,
ये बात सभी ने जानी ।
डूब गया वो घर जो सपनो को संजोता था,
बह गई वो आशा, जिन्होने
जीवन को दी थी परिभाषा ।
ना अब वो गांव है,
ना उन पेड़ो की छांव है,
बह गया बाढ़ में मेरा गांव है ।
दुनिया में घूम रहा अब पनाह के लिए,
खाने , रहने को देने वाले निगाह के लिए ।
खेतो की फसल लूट गया बाढ़,
बर्बादी का दे गया अंबार ।
बिजली, पानी , रास्ते,
ना अब हमारे वास्ते ।
नैया भी डूब जाती है,
मौत भी गले लगाती है।
कोई न अब अन्नदाता है,
पसरा चारो ओर सन्नाटा है ।
गांव में बाढ़ का पानी
है बात सभी ने जानी ।
यहाँ सुने :-
---आदित्य राय (काव्यपल)
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