बरसात की यादें






बरसात के दिन हो,
एक चाय की प्याली हो,
पकौड़ो के प्लेट के साथ परोसी ,
माँ की प्यार की थाली हो ।

कुछ दोस्तों की छतरी में शरारत हो ,
कुछ बारिश के पानी में हिमाकत हो ,
कुछ राहों की तफरी में नज़ाकत हो,
कुछ जीवन के पन्नो में लिखती इबारत हो ।

घूमर घूमर से आते बदलों में ,
ठंडी हवा के लहराते चादरों में ,
बिस्तर से निकलने की आलस में ,
कुछ आहिस्ता से प्यारे पलो की आहट हो ।

पत्तों पर पड़ती बारिश की बूंदे ,
कुछ प्यारे साथियों को ढूंढें ,
ऐसी हमारी प्रकृति के साथ ,
अनमोल रिश्तें हो ।

जब आये दोबारा ये बरसात ,
तो करने लगे बिन बोले ,
हमसे पुराने मौसम की बात ,
की यादें बनकर हरदम रहूंगी तुम्हारे मैं साथ ।


-आदित्य राय ( काव्यपल )

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