प्रथम में हल्का हरे रंग का लाल लाल ,
जैसे हरियाली में ढल गया हो गुलाल l
अति लघु लिए हैं शिशु का रूप,
निखरता है रंग जब इसमें पड़ती है धूप l
धीरे-धीरे गहरे हरे रंग में बदलाव ,
धूप में भी पहुंचाता है यह छांव l
सिकुड़ने लगता है वृद्धावस्था में ,
रंग में परिवर्तन होता है फिर से l
अब कनक समान पीले रंग का हो जाता है ,
जैसे टहनी से बस यह छूटना ही चाहता है l
भूरे रंग में बदलकर अब छूट पड़ता है ,
हवा के सहारे इधर-उधर भटकता रहता है l
---उत्तीर्णा धर ( प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी, कोलकाता )
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