सोच की धाराएं





सोच की धाराएं हैं अनेक,
समस्याएं सुलझाती सब एक ।

अनंत हैं इस धरती पर रूप प्रकृति के,
रंग है अनेक,
मिलने पर बन जाती सब एक ।

नदियां अनेक , झील अनेक
समुंदर की लहरों संग लहराती सब एक ।

पक्षी अनेक , परिंदे अनेक,
घोसलों में दाना लेकर जाने की कला है एक ।

पेड़ अनेक , पौधे अनेक,
जड़ से जुड़े रहने की आदत है एक ।

भाषाएं अनेक , भेष अनेक,
घुलने मिलने की भावनाएं है एक ।

विद्याएं अनेक, कलाएं अनेक,
सरस्वती के आंगन में उपजे सब एक ।

धर्म अनेक ,गुरु अनेक,
शांति के उपदेशों संग ,
ज्ञान की बहती धारा है एक ।


यहाँ सुने :-

---आदित्य राय (काव्यपल)

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