जाति ना पूछो हमारी,
बस इंसानियत है हमें आती ।
कट गए कितने सिर इस दंश के कारण,
मिट गए कितने वंश इस दंश के कारण ।
बीत गई कितनी सदियां,
सुख गई कितनी नदियां,
हो गए कितने आविष्कार,
बदल गई कितनी सरकार,
पर मिट ना सका इस जाति का हाहाकार ।
देश ने देख ली आज़ादी की लड़ाई,
उस महात्मा की अगुआई,
उस भगत की विदाई,
जिन्होंने लड़ी थी जी जान से,
उस जाति की लड़ाई ,
जिसने कभी इंसान को
इंसान से ना लड़ाई ।
यहाँ सुने :-
----आदित्य राय (काव्यपल)
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