कम से कम दिल के तो सच्चे हैं ।
माँ का प्यार हैं , पापा की दुलार,
भाई की फटकार हैं , बहन की पुकार हैं ।
घूमते हैं गलियों में फूलों की तलाश में,
घर बनाते हैं हम नीले आकाश में ।
दोस्तों की मंडली हैं,
वहीं लिखी हमने अपनी कुंडली हैं ।
न सपनों के टूटने का डर हैं,
न किसके रूठने की फिकर हैं,
यूंही चलता जा रहा अपना ये सफ़र है ।
हम बैचलर हीं अच्छे है,
कम से कम दिल के तो सच्चे हैं ।
यहाँ सुने :-
---आदित्य राय (काव्यपल)
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