कहते हैं इंतज़ार करना मुश्किल होता है ,
रुक रुक कर आगे बढ़ना मुश्किल होता है ।
इंतज़ार में और भी बहुत कुछ करना पड़ता है ,
ज्यादा इंतज़ार कराना भी भद्र होता है ,
जिसका इंतज़ार करो उसका क़द्र होता है |
पर एक कॉफ़ी पर हमारी बात बन जाती है,
जब कॉफ़ी की खुशबू हमारी सांस बन जाती है ,
कॉफ़ी की मिठास तब और बढ़ जाती है,
जब इंतज़ार के पल एक सुहानी रात बन जाती है ।
ये कॉफ़ी के साथ बिताये पल ,
ये कॉफ़ी टेबल पर बातों की अदल-बदल ,
कुछ अपनी सुनाते ,कुछ उनकी सुनते ,
सपनो के ताने -बाने बुनते ।
जाते-जाते पूछते की फिर कब मिले ?
कब फिर से कॉफ़ी की खुशबू के साथ हम खिले ?
कुछ और बातें हो जाती ,
जीवन की करवाहटों में ,
कुछ कॉफ़ी की मिठास और घुल जाती ।
यहाँ सुने:-
-आदित्य राय (काव्यपल)
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