बस कुछ कदम दूर है हमारी आज़ादी,
शांति के हथियार से मिलेगी हमे आजादी,
गांधीजी के कदम से नहीं होगी कोई बर्बादी ।
ये बोल उस भगत सिंह के थे ,
जब वो छोटे बालक की उम्र में थे।
पर चौरी चौरा की हिंसा ने,
तोड़ दिए थे उस बालक के सपने ।
मन में ठान लिया की आजादी पा लूंगा,
इस देश को खुला आकाश दिला दूंगा,
जलियांवाला बाग की आग बुझा दूंगा,
इस देश की मिट्टी को फिर से सोना बना दूंगा ।
अपने उसूलों की आग पर चल पड़े वो,
नवजवानों की टोलियों में कूद पड़े वो ।
मिला चंद्रशेखर जी का साथ,
राजगुरु और सुखदेव ने मिलाए हाथ ।
काकोरी में ट्रेन को लूट ,दिया संदेश,
अंग्रेजों संभल जाओ,
हम आ गए अब बदल कर भेष,
उल्टे पांव लौट जाओ, जितने भी हो अभी शेष ।
अंग्रेजों की चलती सभा में,
दिया एक और संदेश ,
जो सोने की कर रहा हो अभिनय,
उसके कान मरोड़ेगा ये देश ।
खुशी -खुशी गिरफ्तारी दे कर,
चौका दिया शांति का संदेश दे कर,
हिंसा ऐसी थी जो अहिंसा की हितैषी थी,
गांधीजी का रखा मान ,कोई हुआ न लहूलुहान ।
सुली पर चढ़ गई तीनों जवानी वो,
खौला खून नवजवानों का ,
दुनिया ने देखी आजादी की कहानी वो जिद्दी,
उत्तेजित हो गई शांत पड़ी हिंद की वो मिट्टी ।
- आदित्य राय (काव्यपल)
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