मैं और मेरा सपना





आज मैने अखबार पढ़ा,
चौथे पन्ने पर ध्यान पड़ा,
लॉटरी का निष्कर्ष छपा,
मैं अपनी टिकट ढूंढने लगा ।

टिकट मिली मुझे जैसे ही,
मैं नंबर उसका मिलाने लगा ।
4291114 अपना नंबर देख कर,
खुशी से गाना गाने लगा ।

मैने मम्मी को ये बात बताई,
वो उसी दिन शॉपिंग कर आई,
अब तो उस समय का इंतजार था,
पैसा देने को मैनेजर बस तैयार था ।

इतने में दीदी ने आवाज लगाई,
स्कूल जाना है उठजा भाई,
वो पैसा थोड़ी अपना था,
कितना सुंदर सपना था ।

इस बात पर मैं बहन से झगड़ पड़ा,
इतने में मम्मी ने दोनो को डांट लगाई ।
और वो लॉटरी टिकट ही फाड़ जलाई ।

अब अखबार पर मेरी नजर पड़ी,
इस बार पहले ही पन्ने पर लॉटरी छपी ।
मैने फिर नंबर मिलाया,
4291114 ही छपा पाया ।

ये तो बस किस्मत ने चाहा था,
लॉटरी का टिकट कहां बचा था ।
अब तो वही स्कूल जाना था,
और मैडम को होमवर्क दिखाना था ।
सोचा था मैडम नही आए आज,
पर उनको तो आज जरूर आना था ।


-स्पर्श भटेजा

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